वर्तमान स्वरूप से पूर्व यहाँ कि भूमि ऊबड़ खाबड़ पड़ी थी। महाराज जी जब वृन्दावन आते तब यहीं ठहरते। यहाँ पर हाथी वाले बाबा की कुटी थी। महाराज जी यहीं नींव के पेड़ के नीचे लेटते और अन्य जो लोग साथी भक्त होते उन्हें धर्मशालाओं में ठहराया जाता। यह भूमि हरिकिशन वैद्य की थी। उनसे मन्दिर आश्रम के लिये मन्दिर ट्रस्ट के नाम से खरीदवाया। जमीन मिलने पर हुआ शुभारम्भ आश्रम और मन्दिरों का। पर भक्तों का विशेष रूझान इसमें नहीं पाया गया। जो भी लीला रही हो। फिर एक दिन महाराज जी ने कह दिया “आगे चलकर यहाँ नगर बस जायेगा।” नगर बस चुका है। महाराज जी ने इस स्थल को कितना महत्वपूर्ण माना कि देह लीला का विश्राम यहाँ किया।
नीम करोली बाबा आश्रम नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित एक विचित्र आश्रम है और हनुमान मंदिर है जो है और आगंतुकों के बीच कैंची धाम के रूप में लोकप्रिय है। समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, यह आधुनिक तीर्थस्थल श्री नीम करोली बाबा महाराज जी के समर्पण में बनाया गया है, जो एक हिंदू गुरु के रूप में पूजे जाते हैं और मान्यता है कि बाबा नीम करौली भगवान हनुमान के भक्त थे और उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किये।