समाधि वाले बाबा यानि गणेशपुरी जी महाराज मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के सबसे प्रथम महंत रहे हैं। बालाजी महाराज की शक्तियों का विस्तार करने का श्रेय गणेशपुरी जी महाराज को ही जाता है।
समाधि वाले बाबा की सेवा भक्ति से ही आज बालाजी महाराज की महिमा का इतना विस्तार हुआ है और प्रसिद्धि मिल पायी है।
समाधि वाले बाबा को जलेबी का भोग लगाया जाता है। वहां पर स्थित दुकानों से जलेबी का भोग खरीद का रख लीजिए।
ऐसा माना जाता है कि बाबा को जलेबी का भोग अत्यंत प्रिय है। यह जलेबी का भोग दुकान से मात्र दस रुपये में मिल जाता है।
समाधि वाले बाबा को जलेबी का भोग अपरान्ह बारह से साढ़े बारह बजे तक लगता है। संकट वालों को समाधि वाले बाबा के स्थान पर जाकर 10 रुपये का जलेबी का भोग लगाना चाहिए।
भोग लगाने के बाद थोड़ी सी जलेबी निकालकर हाथ में रख लें। और इसको अपने सिर से सात बार वारने के बाद प्रेम और आस्था के साथ इसे उस स्थान पर रख दें जहां अन्य भक्तगण प्रसाद को वारने के बाद रख रहे हों।
जो भोग आपने निकाला है इसे अब आप स्वयं ग्रहण करें। किसी अन्य को न खिलायें।
भोग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आपको समाधि वाले बाबा की सात परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सात परिक्रमा करने से संकट निश्चित रूप से कट जाता है।
जिन लोगों की पेशी न खुल रही हो या संकट न कट पा रहा हो ऐसे लोगों को 10 रुपये की एक दरख्वास्त भी लगा देनी चाहिए।
यह लगाते समय बाबा से विनती करनी चाहिए कि बाबा हमारी पेशी खोल दीजिए और संकट काट दीजिए। दरख्वास्त में अपना पूरा नाम पता जरूर बोलें।
इसके बाद समाधि वाले बाबा के स्थान के पास कोई खाली जगह देखकर बैठ जायें और बाबा का ध्यान करें आपको निश्चित ही लाभ होगा। जिसकी पेशी नहीं खुली होगी उसकी पेशी भी खुलेगी, जिसके संकट कटने बाकी होंगे उनके बयान भी होंगे, मुक्ति भी मांगेंगे और संकट भी कटेंगे।