बाल बिखेरे महिलाएं सिर घुमा रही हैं! उनके शरीर पर भारी पत्थर भी रखे हैं! उनकी चीत्कार और बचाओ-बचाओ की गुहार भी सुनाई पड़ रही है! एक कोने में महिलाएं कंडे जलाकर धुएं की तरफ अपना सिर करके झूम रही हैं! गलियारे में मैले कुचैले कपड़े पहने महिलाएं और पुरुष बेड़ियों और सांकलों में बंधे हैं! तेज आवाज में बड़बड़ा भी रहे हैं मानो वे गुस्से में हवा से बातें कर रहें हों! चिथड़ों में लिपटे कुछ ऐसे लोग भी पड़े हैं जिनके तन पर पूरी चमड़ी भी नहीं है! ये प्रेतराज सरकार का दरबार है।राजस्थान के दौसा और करौली जिलों को बांटने वाली मेहंदीपुर पहाड़ियों के बीच घाटी में बालाजी मंदिर में यह दरबार हर रोज दो बजे से चार बजे तक लगता है। बाला जी मंदिर में प्रेतराज सरकार दण्डाधिकारी पद पर आसीन हैं। प्रेतराज सरकार को चावल प्रसाद चढ़ाना पड़ता है और प्रेतराज सरकार के विग्रह पर भी चोला चढ़ाया जाता है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दण्ड देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती, चालीसा, कीर्तन, भजन भक्ति-भाव से किए जाते हैं। बालाजी के सहायक देवता के रूप में ही प्रेतराज सरकार की आराधना की जाती है। पृथक रूप से उनकी आराधना-उपासना कहीं नहीं की जाती, न ही उनका कहीं कोई मंदिर है। वेद, पुराण, धर्म ग्रन्थ आदि में कहीं भी प्रेतराज सरकार का उल्लेख नहीं मिलता। प्रेतराज श्रद्धा और भावना के देवता हैं। बाला जी के मंदिर और उनके भक्तों में प्रेतराज सरकार की बहुत अधिक मान्यता है।